ये फिल्म में दो दिलों का प्यार लोगों के दिलों में बस्ता है 41 साल पुरानी फिल्म नदिया के पार अभी तक लोगों के दिलों में राज करता है ,जिस गांव में हुई थी शूटिंग उस गाव के लोग लगे रोने, पूरी कहानी जरूर पढ़े
Nadiya ke par film full story
जौनपुर जिले का एक गांव ऐसा है, जहां की फिजाओं में आज भी फिल्म नदिया के पार किरदार चंदन और गुंजा के प्रेम की खुशबू घुली हुई है। केराकत तहसील क्षेत्र का यह गांव है विजयीपुर। नदिया के पार की अधिकांश शूटिंग इसी गांव में हुई है। 90% केराकत तहसील के विजयपुर और राजेपुर नामक गांवों में हुई, ये दोनों गांव सई नदी और गोमती नदी के किनारों पर बसे हैं।
शूटिंग खत्म होने पर रोने लगे थे लोग फिल्म में जिस नदी की बात की जाती है, वह यही दो नदियां है इसी स्थान पर सई नदी और गोमती नदी आपस में मिल जाती है। जहां नदिया के पार फिल्म की शूटिंग हुई थी। फिल्म की शूटिंग लगभग डेढ़ दो महीने तक चली थी। फिल्म की पूरी टीम उस गांव में ही लगभग डेढ़ दो महीने तक रहे थे, जब इस फिल्म की शूटिंग खत्म हुई थी तो उस गांव के लोग रोने लगे थे।
साची कहे तोहरे आवन से हमरे गीत
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1 जनवरी 1982 को हुई थी रिलीज गांव में शूटिंग के दौरान गुंजा और गांव वालों के बीच एक आत्मीय रिश्ता बन गया था। यह फिल्म 1 जनवरी 1982 को रिलीज हुई थी। फिल्म के होली वाले गीत जोगी जी धीरे धीरे के लिए कई बोरियां भर भर के रंग और गुलाल मंगाए गए थे।
नदिया के पार फिल्म में भाषा अवधी और भोजपुरी नदिया के पार फिल्म में भाषा अवधी और भोजपुरी है, नायक सचिन मराठी हैं और गायक जसपाल सिंह जी पंजाबी हैं। सचमुच ये अनेकता में एकता का जीवंत उदाहरण है, जसपाल जी के पंजाबी होने के बाद भी उनकी की आवाज़ में "सांची कहें तोरे आवन से हमरे" और "कौन दिसा में लेके चला रे बटोहिया "जैसे देहाती गाने सुनने पर ऐसा लगता है। जैसे कोई अवधी या भोजपुरी गवइया ही गा रहा हो, कहा जाता है कि जब फिल्म की शूटिंग ख़त्म हो गयी थी और फिल्म की टीम गांव छोड़ कर जा रहे थे तो सब गमगीन थे।
Nadiya ke par film full storyगाने आज भी लोगों के जेहन में महान संगीतकार रविंद्र जैन जी के संगीत से सजे नदिया के पार फिल्म के मिट्टी की खुशबू से ओतप्रोत दिल को छू लेने वाले कालजई गाने आज भी लोगों के जेहन में बसते हैं।
जब तक पूरे ना हो फेरे सात गीत
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कलाकार
सचिन - चन्दन
साधना सिंह - गुंजा
मिताली - रूपा
लीला मिश्रा - काकी
इन्द्र ठाकुर - ओमकार
राम मोहन - किसान (ओमकार और चन्दन के चाचा)
शीला डेविड- चन्दन की बचपन की दोस्त
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संगीत
फ़िल्म में काफी मधुर संगीत है जिसमें कौन दिसा में लेके चला रे बटोहिया, जब तक पूरे ना हो फेरे सात, साँची कहे तोरे आवन से हमरे , गुंजा रे चंदन चंदन और जोगी जी वाह जोगी जी शामिल हैं।
बहुत भावनात्मक सीन
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पटकथा
फ़िल्म की कहानी केशव प्रसाद मिश्र के हिन्दी उपन्यास कोहबर की शर्त के पहले आधे भाग पर आधारित है। इसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश में रहने वाले एक ब्राह्मण किसान को दिखाया गया है जो अपने दो भतीजों के साथ रहता है। वो बिमार हो जाता है जिसके इलाज के लिए पड़ोसी गाँव से वैद्य को बुलाया जाता है। जब किसान ठीक हो जाता है तो वैद्य को इलाज के खर्चे के बारे में पूछता है। वैद्य किसान के बड़े भतीजा से अपनी पुत्री का विवाह करने की बात कहता है। किसान तुरन्त इसके लिए सहमत हो जाता है।
ओमकार (इन्द्र ठाकुर) का विवाह वैद्य की बड़ी पुत्री रूपा (मिताली) के साथ विवाह हो जाता है और वो एक खुशी जीवन की शुरूआत करते हैं। रूपा एक बच्चे को जन्म देती है। रूपा की गर्भवती होने के दिनों उसकी छोटी बहन गुंजा (साधना सिंह) उसके साथ रहने के लिए आती है। इसी समय उसे ओमकार के छोटे भाई चन्दन (सचिन) से प्यार हो जाता है।
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रूपा को जब उनके प्यार का पता चलता है तो वो उनका विवाह करवाने का वादा करती है। लेकिन एक दुर्घटना में उसकी मौत हो जाती है और उसके अलावा अन्य कोई भी परिवार का सदस्य उनके प्यार के विषय में नहीं जानता। किसान और वैद्य गुंजा का विवाह ओमकार से करवाना चाहते हैं जिससे वह अपनी बहन के बच्चे का पालान पोषण कर सके। जब विवाह के सभी अनुष्ठान चल रहे होते हैं तभी गुंजा और चन्दन के प्यार का खुलासा हो जाता है। सर्वसहमति से गुंजा और चन्दन का विवाह हो जाता है।
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FAQs
नदिया के पार कौन से जिले में बनी थी?
‘नदिया के पार’ की शूटिंग जौनपुर के गांव में हुई थी।
‘नदिया के पार’ में कौन सा हीरो है?
‘नदिया के पार’ में सचिन पिलगांवकर और साधना सिंह लीड रोल में थे।
नदिया के पार फिल्म की हीरोइन का नाम क्या है?
साधना सिंह
नदिया के पार फिल्म की बजट क्या थी
लगभग 18 लाख
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