बिहार के प्राथमिक नामांकन में तीसरे चरण में 43320 विद्यालय में भर्ती की जाएगी। शिक्षा विभाग ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएसी) को इन पोस्टरों के लिए स्कॉलर क्लियरेंस भेजा है। जिसके बाद बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा प्राइमरी क्लास के लिए मोशन पिक्चर्स जारी की गई।
अन्य सिद्धांतों के लिए आक्षेप की स्वीकृति सोमवार को भी पूरी तरह से दी जा सकती है
आधिकारिक जानकारी के अनुसार बिहार लोक सेवा आयोग को 43320 पोस्ट में 24902 कक्षा 1 से 5 के लिए भेजा गया है। जबकि शेष 18418 पद कक्षा 6 से 8 तक के कनेक्शन के लिए हैं। कक्षा 9वीं से 10वीं और 11वीं से 12वीं के बाद अब जल्द ही प्रारंभिक स्कूल से स्नातक के लिए बिहार लोक सेवा आयोग का गठन किया जाएगा। सोमवार को लौह अयस्क क्लियरेंस पूरा होने की उम्मीद है।
परीक्षा जुलाई में आयोजित की गई थी
राज्य के सरकारी स्कूलों में प्राथमिक कक्षाओं, माध्यमिक और माध्यमिक स्कूलों के लिए माध्यमिक स्कूलों का आयोजन 19 से 22 जुलाई तक आपके लिए आयोजित किया गया है। इस बार के मास्टर का नाम रोस्टर क्लेरेंस 50 फीट ईट का आधार है।
2304 की कट्स में सिर्फ 37943 की होगी मो
अब राज्य में 37943 शिक्षक ही नियुक्त होंगे। 2304 में प्राइमरी के रिक्त पदों की कमी हो गई है। 40247 रिक्तियां घोषित की गईं। लेकिन नवीनतम नीति परिवर्तनों के कारण अब रिक्तियों की संख्या कम हो गई है।
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पटना. बिहार में हाल ही में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के नए संसाधनों और आपूर्ति नीति के खिलाफ राज्य भर के शिक्षक नाराज हैं। सबसे बड़ा विवाद पांच साल की सेवा के तहत अनिवार्य रूप से लाइसेंस का भुगतान किया जाता है। टीचर्स कम्यूनिटी ने इसी नीति का विरोध शुरू कर दिया है और अब आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं
क्या हैं शिक्षक की मांगें
बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ की हाल ही में हुई बैठक में सरकार से नीति संशोधन की मांग की गई। संघ का कहना है कि नई सूची में अनिवार्य रूप से कई ऐसे नियम शामिल हैं जिन्हें वापस लेना चाहिए। संघ का कहना है कि परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा बाद में एक प्रस्ताव जारी किया गया था लेकिन अब इसे अनिवार्य कर दिया गया है। ये नहीं है.
साथ ही 'ई-शिक्षा कोष' ऐप के माध्यम से संस्थान में प्रवेश की अनिवार्यता समाप्त हो जाएगी। अन्य प्रमुख अंशों में अंशकालिक स्तर पर समूह के वेतनमान और समूह के सहयोगियों को अनुकंपा के आधार पर पूर्ण वेतनमान शामिल किया गया है।
आंदोलन की चेतावनी
बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के महासचिव मनोज कुमार ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार जल्द ही संयुक्त राष्ट्र संघ पर विचार नहीं करती है तो राज्य सहभागी आंदोलन करेगी। संघ के अनुशासित ने तय किया है कि आंदोलन की कट्टरपंथी तैयारी चल रही है और जल्द ही सभी एकजुटता के तहत बात कर इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
क्षेत्र की घेराबंदी की योजना
शिक्षक संघ बिहार के प्रदेश अध्यक्ष केशव कुमार ने साफ कर दिया है कि नई पोस्ट-पोस्टिंग नीति में कई खामियां हैं, जो शिक्षक संघ के हित में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने अपनी एकजुटता पर ध्यान नहीं दिया तो अगले विधानसभा सत्र के दौरान शिक्षक पटना के स्कैंडल पर उतरेंगे और नमूना पेश करेंगे। केशव ने यह भी कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक शिक्षक पीछे नहीं हटेंगे।
आंदोलन का प्रभाव
इस नई नीति की शिक्षा व्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इंस्टीट्यूट का कहना है कि सरकार शिक्षक संघों से बिना नई नीति लेकर बात करती है, जो इंस्टीट्यूट के हित में नहीं है। इससे उनका काम प्रभावित हो रहा है, जिससे वे मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं। इस मुद्दे पर सरकार और संरचना के बीच अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है, लेकिन आंदोलन की आहट ने सरकार के लिए चुनौती खड़ी कर दी है।
यह देखने से दिलचस्प बात यह होगी कि बिहार में शिक्षा जगत के खिलाफ इस समस्या का समाधान कैसे होगा, क्योंकि शिक्षा आंदोलन से शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।
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