BPSC: सरकारी स्कूल से पढ़कर 20 साल की उम्र में DSP बनीं चित्रा, पहले प्रयास में ही हासिल किया खिताब
BPSC: बक्सर की बेटी चित्रा कुमारी जो कि एक बेहद साधारण परिवार से आती है, इन दिनों राजगीर पुलिस अकादमी में डीएसपी की ट्रेनिंग में व्यस्त है। ट्रेनिंग इतनी कठिन है कि उसे अपने परिवार से बात करने का भी समय नहीं मिल पाता। लेकिन बक्सर के सरकारी स्कूल में पढ़ाई करके और कहीं बाहर कोचिंग लिए बिना उसने अपने पहले ही प्रयास में BPSC परीक्षा पास कर ली और अब वह अपने सपने को जी रही है। महज 20 साल की उम्र में उसने 67वीं BPSC में सफलता हासिल की।
जमीन बेचकर की बच्चों की पढ़ाई, चित्रा कुमारी कैसे बनी डीएसपी
किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले उनके पिता सुरेश प्रसाद मालाकार अपनी बेटी की सफलता की कहानी एक ही सांस में बयां कर देते हैं। वे कहते हैं कि उनका परिवार मूल रूप से बक्सर जिले के चौसा का रहने वाला है। लेकिन वे कई बार बक्सर आए।
कई साल पहले की बात है। पहले वे बैंक में काम करते थे, लेकिन किसी कारणवश 2008 में उनकी नौकरी चली गई। उस समय उनके तीन बच्चे (दो बेटे, एक बेटी) छोटे थे। उनकी पढ़ाई सामने थी। इसलिए उन्होंने सोहनीपट्टी में अपनी दो कट्ठा जमीन बेच दी और उससे मिले पैसे बैंक में जमा कर दिए। उससे मिलने वाले ब्याज से परिवार चलता था। चित्रा और उनके भाइयों की पूरी पढ़ाई सरकारी स्कूल और कॉलेज से हुई।
बच्चों की पढ़ाई में मां का योगदान अहम
चित्रा की मां रचना देवी बच्चों की पढ़ाई को लेकर काफी सक्रिय रहती थीं। गृहिणी रचना मैट्रिक तक पढ़ी हैं। वे बच्चों को हर दिन एक टास्क देती थीं कि आज उन्हें इतना पढ़ना है। उन्हें मोबाइल से दूर रखती थीं, डांटती थीं और लाड़-प्यार भी करती थीं। चित्रा के साथ ही बीपीएससी में सफल हुए चित्रा के बड़े भाई लार्विन कुमार पहले से ही सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे थे। वे कुछ महीने के लिए दिल्ली के मुखर्जी नगर भी गए थे। लेकिन कोरोना काल शुरू होने के कारण वापस लौट आए। लेकिन दिल्ली से मिले स्टडी मैटेरियल ने तीनों भाई-बहनों को तैयारी में मदद की।
चित्रा अपनी धुन की पक्की है
घर में एक ही लैपटॉप था, जिस पर तीनों भाई-बहन पढ़ाई करते थे। कभी ग्रुप में तो कभी अकेले। घर की माली हालत को देखते हुए सभी ने घर पर रहकर ही BPSC की तैयारी करने का फैसला किया। वे ऑनलाइन कोर्स से जुड़ गए और पूरे मन से तैयारी में जुट गए। सफल प्रतिभागियों के इंटरव्यू भी देखे। चित्रा ने पहले ही प्रयास में BPSC क्रैक कर लिया। चित्रा अपनी सफलता में अपनी मां की भूमिका को काफी अहम मानती हैं। उनके पिता कहते हैं कि वह दृढ़ निश्चयी हैं।
प्रशिक्षण सुबह 3:30 बजे से रात 10 बजे तक चलेगा
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